ओडिशा ट्रेन हादसा: कैसे 4 मिनट में सब कुछ तबाह हो गया, पूरी कहानी

 

ओडिशा ट्रेन हादसा: कैसे 4 मिनट में सब कुछ तबाह हो गया, पूरी कहानी 

ओंडिशा के बालासोर में बहनागा बाजार स्टेशन पर सिर्फ 4 मिनट के भीतर तीन ट्रेनों की भीषण टक्‍कर हुई। पढ़‍िए, ट्रेन हादसे पर अब तक सामने आई जानकारी।

ओडिशा ट्रेन हादसा: कैसे 4 मिनट में सब कुछ तबाह हो गया, पूरी कहानी

 
ओडिशा में शुक्रवार को हुई ट्रेन दुर्घटना में कुछ सेकेंड इधर-उधर होने से हालात काफी बदल सकते थे। दो यात्री ट्रेनों और एक मालगाड़ी की टक्‍कर में लगभग 300 लोग मारे गए हैं। सिर्फ 4 मिनट के भीतर ही सब कुछ तबाह हो गया।, शुक्रवार की शाम 6.50 बजे, शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस को बहनागा बाजार स्टेशन से गुजर जाना चाहिए था, इसके बाईं ओर लूप लाइन पर एक मालगाड़ी खड़ी रहती। लेकिन पटरियां बदलने वाले रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्‍टम में कुछ गड़बड़ी थी। नतीजा,​कोरोमंडल एक्सप्रेस इंटरचेंज से दूसरे ट्रैक पर नहीं गई। लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से 128kmph की स्‍पीड में जा टकराई। कोरोमंडल का एक कोच दाहिनी ओर गिरा, उस पटरी पर जिससे बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस गुजर रही थी। बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस को यहां से करीब ढाई घंटे पहले ही निकल जाना चाहिए था मगर वह लेट चल रही थी। अगर वह चंद सेकेंड पहले भी निकल जाती तो कई जिंदगियां बच सकती थीं। अगर कुछ सेकेंड और लेट होती तो मौत का आंकड़ा कहीं ज्यादा होता।


ओडिशा ट्रेन हादसा: कैसे 4 मिनट में सब कुछ तबाह हो गया, पूरी कहानी


       ओडिशा में शुक्रवार को हुई ट्रेन दुर्घटना में कुछ सेकेंड इधर-उधर होने से हालात काफी बदल सकते थे। दो यात्री ट्रेनों और एक मालगाड़ी की टक्‍कर में लगभग 300 लोग मारे गए हैं। सिर्फ 4 मिनट के भीतर ही सब कुछ तबाह हो गया। शुक्रवार की शाम 6.50 बजे, शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस को बहनागा बाजार स्टेशन से गुजर जाना चाहिए था, इसके बाईं ओर लूप लाइन पर एक मालगाड़ी खड़ी रहती। लेकिन पटरियां बदलने वाले रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्‍टम में कुछ गड़बड़ी थी। नतीजा,​कोरोमंडल एक्सप्रेस इंटरचेंज से दूसरे ट्रैक पर नहीं गई। लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से 128kmph की स्‍पीड में जा टकराई। कोरोमंडल का एक कोच दाहिनी ओर गिरा, उस पटरी पर जिससे बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस गुजर रही थी। बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस को यहां से करीब ढाई घंटे पहले ही निकल जाना चाहिए था मगर वह लेट चल रही थी। अगर वह चंद सेकेंड पहले भी निकल जाती तो कई जिंदगियां बच सकती थीं। अगर कुछ सेकेंड और लेट होती तो मौत का आंकड़ा कहीं ज्यादा होता।
ओडिशा ट्रेन हादसा: कैसे 4 मिनट में सब कुछ तबाह हो गया, पूरी कहानी



साउथ ईस्‍टर्न रेलवे के CPRO आदित्य कुमार चौधरी ने कहा, 'कोरोमंडल एक्सप्रेस टाइम पर थी लेकिन बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस ढाई घंटे लेट थी। यह वाकई में दुखद संयोग रहा।' ईस्‍टर्न रेलवे के जनरल मैनेजर मनोज जोशी ने समझाया कि अगर बेंगलुरु-हावड़ा ट्रेन टाइम पर चल रही होती या इतनी लेट न होती तो कोरोमंडल एक्सप्रेस के पलटने से काफी पहले गुजर चुकी होती। उन्होंने कहा, 'मृतकों की संख्या तब कम होती क्योंकि केवल एक यात्री ट्रेन की मालगाड़ी से टक्‍कर हुई होती।'

रेल मंत्री ने बताई ट्रेन हादसे की वजह
रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने मामले की जांच की है। हादसे के कारण का पता लग गया है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान भी कर ली गई है.  इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण यह दुर्घटना हुई/
  

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        जोशी ने कहा कि रेल सिस्टम ऐसा है कि अगर दो ट्रेनें टाइम पर हैं तो वे एक-दूसरे को फुल स्पीड में क्रॉस करती हैं। उन्होंने कहा कि यह संयोग ही था कि रिले इंटरलॉकिंग सिस्‍टम फेल होने के बाद यात्रियों से खचाखच भरी दो ट्रेनों एक-दूसरे के पास से गुजरने वाली थीं। जोशी ने कहा, 'नहीं तो ड्राइवर को ब्रेक लगाने, डिस्‍ट्रेस सिग्नल भेजने के लिए लाइट फ्लैश करने का वक्त मिल जाता। मिनटों या सेकेंडों का अंतर दूसरी ट्रेन को बचा लेता। या अगर मालगाड़ी का ड्राइवर अलर्ट होता, उसे अपने लोको से फ्लैशर लाइट जलाने का वक्त मिल जाता तो हादसे की भयावहता को कम किया जा सकता था।

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